Saturday, 21 September 2013

ghronde

घर और घरोंदे के बिच
नही होते कोई फर्क
जब, भी उड़ते हुए परिंदे देखो
तो, अपने घरोंदे को यद् करो
की, वो कन्हा जाते है
कंही तो उनके घोसले होंगे

बहुत शोर होता है , यंहा 

Friday, 20 September 2013

tej barish me

तेज बारिश हो जाती है।
जब बुआ जी के यंहा थी , तब बी दोपहर को मेघ अचानक इसे ही बरसते थे ,
उमड़ते घुमड़ते आवारा मेघों का साया तब, मन को सिहरता नही था , अपितु
डरता भी नही था , हमें लगता था, इस घर में मेघ भी छानी के संग बनाये गये है
सच कितने प्यारे दिन थे वो, जब बादलों के संग हम होते , बदल हमारे संग रहते
हम बादलों की परछाई में दौड़ते हुए , स्कूल जाते थे।  स्कूल की कितनी यादें है, जो दिल को सुकून देती है 

Tuesday, 17 September 2013

jb lihna nhi ho to

लिखना नही हो , तो लिखो
१, २ ३, ४
बस इसके आगे कोई गिनती नही आती 

Tuesday, 10 September 2013

jana knha hai

क्या आपको ऐसा  नही लगता की हम कम कुछ क्र रहे हो
और सोच कुछ रहे हो
हम देख कुछ रहे हो
और दिखाई कुछ और दे रहा हो
कभी गौर करिए की, आप मूर्त रूप में
करते कुछ है , सोचते कुछ है
नही पता ऐसा क्यों होता है 

Sunday, 4 August 2013

sharad ke purv

शरद के पूर्व
सावन-भादो के बाद
नदी का जल होने लगता है
स्थिर व् स्वच्छ
नदियाँ लगती है
गहरी व् विश्त्रत
किनारे के काश
घिर जाते है ,श्वेत पुष्पों से
हर और फैली होती है
परिमार्जित सुषमा
शरद के पूर्व
झरती है चांदनी संग
भीगी भीगी ,ऊष्मा 

Friday, 2 August 2013

tu sath

प्यार, तू साथ
जीना  मरना साथ
तेरा मेरा जुदा होना
मुश्किल है

एक पुराना नगमा 

barish me

एक ख़त लिखना है
मौसम के नाम
एक पैगाम लिखना है 

Saturday, 6 July 2013

bahut sara likhna chahti hu

जब भी लिखने बैठती हूँ, तो  लालची हो जाती हूँ, ऐसा  लगता है कि , इतना लिखूं कि ......समझ में नही आता की, इतना सारा एक बार में कैसे लिखू , और मई वन्ही ढेर हो जाती हूँ
जब,यंहा से जाउंगी, तो फिर सोचना शुरू करूंगी, की क्या लिखना है, और वन्ही सोचते सो जाउंगी, किन्तु ये लिखना सतत चलता रहता है, कभी रुकता नही .
पता है, कल तहसील में मेरी साथ की पढ़ी classmet मिली, तो कहने लगी, अरे, तू तो बड़ी होशियार होती थी . मुझे बुखार सा हो गया, कि क्या अब मै  नही हूँ , क्यूंकि मै पैसा कमाने की मशीन नही बन सकी, व् एक लेखिका बनकर रह गयी, अत्म्संतुस्ती में सिमट कर , तोभी कभी किसी को, ये कहने का साहस नही जुटा सकी , की तुम सब लिखो .क्यूंकि मै नही चाहती , की दुसरे मेरी तरह बर्बाद हो, और जमाने में ठोकरे खाए .

Friday, 5 July 2013

barish ka mausam,

देखो ,बारिश का मौसम
कितना ,इतराता आता

अनुवाद भी गजब के होते है
 यदि आप  कहे ....
आज मौसम बड़ा , बेईमान है
, तो , अनुवाद होगा
weather is very  dishonest , today