Saturday 4 January 2014

साँझ कि बारिश 
बहुत प्यारा लफ्ज है 
जैसे मन भींग भींग जाता है 

Friday 3 January 2014

साँझ कि बारिश 
साँझ की बारिश 
और जिंदगी कि तपिश 
दोनों कभी साथ नही थे 
साँझ कि बारिश क्या है 
जैसे कि गुमशुदा अहसास है 
जो जेन कंहा 
आकाश में उड़ते पखेरुओं कि तरह से 
गम हो गये है 
bahut
बहुत याद अति है 
याद आती है 
साँझ और खिली खिली बर्षा 
साँझ में घर से निकलकर 
अच्छा लगता था 
घिरती साँझ में 
होती हुयी बारिश को निहारना 
और बहुत कुछ अहसास होते थे 
अच्छी 
अच्छी लगती