साँझ कि बारिश बहुत प्यारा लफ्ज है जैसे मन भींग भींग जाता है
Friday 3 January 2014
साँझ कि बारिश साँझ की बारिश और जिंदगी कि तपिश दोनों कभी साथ नही थे
साँझ कि बारिश क्या है जैसे कि गुमशुदा अहसास है जो जेन कंहा आकाश में उड़ते पखेरुओं कि तरह से गम हो गये है
bahut बहुत याद अति है याद आती है साँझ और खिली खिली बर्षा साँझ में घर से निकलकर अच्छा लगता था घिरती साँझ में होती हुयी बारिश को निहारना और बहुत कुछ अहसास होते थे