Sunday, 4 August 2013

sharad ke purv

शरद के पूर्व
सावन-भादो के बाद
नदी का जल होने लगता है
स्थिर व् स्वच्छ
नदियाँ लगती है
गहरी व् विश्त्रत
किनारे के काश
घिर जाते है ,श्वेत पुष्पों से
हर और फैली होती है
परिमार्जित सुषमा
शरद के पूर्व
झरती है चांदनी संग
भीगी भीगी ,ऊष्मा 

Friday, 2 August 2013

tu sath

प्यार, तू साथ
जीना  मरना साथ
तेरा मेरा जुदा होना
मुश्किल है

एक पुराना नगमा 

barish me

एक ख़त लिखना है
मौसम के नाम
एक पैगाम लिखना है